गुरुवार, 13 मई 2010

तिकडिआ : "एक नही तीन"... साझा सरकार

एक रहे बे, दूजे रहे बे, तो तीजे भी रहे बे ....

एक रहे एबे, दूजे रहे दूबे, तो तीजे रहे तीबे ...

बोलो कितने रहे बे... तीन, .. .. .. अरे नही... बुद्धु... एक.


एबे लिखै १ कहानी, दूबे लिखै १ कहानी, तो तीजे लिखै १ कहानी....

एबे लिखिन ३ कहानी, दूबे लिखिन ३ कहानी, तो तीजे लिखिन ३ कहानी....

बोलो कितनी कहानिया..... नौ, .. .... अरे नही... बुद्धु.... तीन.


एबे मारिन १ शेर, दूबे मारिन १ शेर, तो तीबे मारिन १ शेर....

एबे मारिन ३ शेर, दूबे मारिन ३ शेर, तो तीबे मारिन ३ शेर...

बोलो मारिन कितने शेर..... नौ, .. .... अरे नही... बुद्धु.... तीन.


एबे पाइन १ तमगा, दूबे पाइन १ तमगा, तो तीबे पाइन १ तमगा ....

एबे पाइन ३ तमगा, दूबे पाइन ३ तमगा, तो तीबे पाइन ३ तमगा ...

बोलो कितने तमगा..... नौ, .. .... अरे नही... बुद्धु.... तीन.


एबे किहिन १ मेहेरिआ, दूबे किहिन १ मेहेरिआ,  तीबे किहिन १ मेहेरिआ.....

एबे पाइन ३ मेहेरिआ, दूबे पाइन ३ मेहेरिआ, तीबे पाइन ३ मेहेरिआ...

बोलो कितनी मेहेरिआ..... नौ, .. .... अरे नही... बुद्धु.... एक.   ..

            .                      चुप बे, ..क्यु..  क्यु ...  क्यु.... क्युकि इसमे साझा नही.
                                                                         


लब्बोलुआब ए कि .......,

एक - एक, जोड करे जो साझा व्यापार,

जो भो साझादार का हो, वो भी तो हमार,

दुनिया बनाय बुद्दु, चलाई साझा सरकार.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें