शुक्रवार, 14 मई 2010

'फिर कोइ बच्चा बडा हो रहा है’

देखो ए क्या, माजरा हो रहा है, कोइ राह चलता, खुदा हो रहा है.
ए मौला बता, ए क्या हो रहा है, ए कैसा बुरा, फ़ल्सफ़ा हो रहा है.

फिर कोइ बच्चा, बडा हो रहा है, कान्धो के ऊपर, खडा हो रहा है.
गया था जमात मे, वो इल्म लेने, दोस्तो से वो, बदगुमा हो गया है.

खेलो से वो, अह्ल्दा हो गया है, मेलो मे वो, बद-मजा हो गया है.
जमात मे सबसे, तनहा हो गया है, जेहन जहरीला, कुआ हो गया है.

भूला लोरी, चलाता गोली, खिलौने से पहले, अस्लहा ले रहा है.
लगोटी बद्ले, कफ़न लपेटे, पटाखे से पहले, ऒ बम ले रहा है.

ए मौला मेरे, ए क्या हो रहा है, ए कैसा बुरा, फ़ल्सफ़ा हो रहा है.
बातो से बच्चा, तीसमार हो रहा है, पलते पलते, खुदा हो रहा है.

चच्चू कोइ, उसे बर्गला रहा है, कौमी जूनुन को, हवा कर रहा है.
किताबे सफ़ा पे, किला दे रहा है, उसे तोड्ने की, सलाह दे रहा है.

भैया की खातिर, पेस की सेरवानी, आपा के वास्ते, ली गुडिया रानी.
अब्बू के खातिर, खजाना दिया, अम्मी के चुल्हे को, आटा दिया है.

फिर ७ पुस्तो की, सर-परस्ती का, झूठा ही सही, वायदा दे रहा है.
नसले-रहनुमाइ का, फ़र्मान देकर, अमलदारी के लिये, बम दे रहा है.

मुहब्बत के बदले, कोहराम करना, फिर एक ’ताज’, को बे-दाम करना.
नाहक सभी का, कत्ले-आम करना, शहर को जला, खलिहान करना.

फिर से शहर कोइ, शमसान करना, बस्ती की बस्ती, कब्रस्तान करना.
ला-गिनती बच्चे, ला-वालिदान करना, खू मे नहा, जस्ने-आम करना.

नस्ल की राह पे, चलना सबाब, नस्ल की राह पे, मारना सबाब है.
नस्ल की राह पे, मरना सबाब, ए कैसा सैतानी, फ़र्मान कर रहा है.

नही जिन्दा रहना, गिरफ़्त मे आके, तू राहे नस्ल, जाने-कुर्बान करना.
ए मौला ए कैसा, इल्म कर रहा है, कही कोइ बच्चा, बडा कर रहा है.

बच्चो को सभी माफ़, बच्चो का क्या, काज़ी पे कोइ, सज़ा ही नही.
जहाने अदालत मे, वो काज़ी नही, बच्चो कि गलती, पे फासी नही.

बच्चे पे कैसा, जुल्म कर रहा है, चच्चू ए कैसा, इल्म कर रहा है.
ए मौला बता, ए क्या हो रहा है, ए कैसा बुरा, फ़ल्सफ़ा दे रहा है.

बचालो बच्चो को, दुनिआ वालो, क्या आया जमाना, ए क्या हो रहा है,
फिर कोइ बच्चा, जिबह हो रहा, एक नए कसाब का, ईजाद हो रहा है,

फिर वो मन्जर, मुक्कमल हो रहा है, कुल्लहड बढ्कर, घडा हो रहा है,
कल का भिखारी, बाद्साह हो रहा है, चुरा-चुराके, शाहन्साह हो रहा है.

सबक लो हज़रत, मदत देने से पहले, ए बन्दा कही गुमराह, हो गया है.
न बाटो औजारे-इल्म, सैतान को, कि बन्दर के हाथ, उस्तरा हो गया है.

देखो ए क्या, माजरा हो रहा है, कोइ राह चलता, खुदा हो रहा है.
ए मौला बता, ए क्या हो रहा है, ए कैसा बुरा, फ़ल्सफ़ा हो रहा है.

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