मरने की चाह ने, जीना सिखा दिया.
मिलने की राह ने, पीना सिखा दिया.
भट्की हुइ निगाहे, ठहरी है आप पे.
सारे जहा की खुस्बू, सिमटी है आप मे.
खोये हुए खजाने, फ़िर अपने हो गए.
किस्मत से एक बार, हम फ़िर मिल गए,
काली स्याह-राते, चान्दनी बन गई,
मिट के सिकस्त फ़िर, हसरत हो गई.
आते ही आपके, मौसम बदल गये,
सहरा मे फ़िर तेरे, जल्वे म़चल गये.
गमगीन वक्त भी, नमकीन हो गया.
चेहरे पे आपके, आई ए जो हया.
रूक जाइये थोडा, दम लेने तो दे,
एक बार ही सही, जी भर जीने दे.
जाना कि जाना है, चले जाइगा,
जाने के बाद भी, तो हमे पाइगा.
गिरवी रखी है, सासे हमारी आपने,
जिन्दा हू चुका के, हसरते ब्याज मे.
कहने को कह दिया, कोइ नही है हम,
आते ही जिक्र मेरा, क्यो आखे हुई नम.
हसरत मे रहे जिन्दा, हसरत मे मरेगे,
मिलने की आप से, हसरत ही करेगे.
सुन्दर रचना !!!
जवाब देंहटाएंगिरवी रखी है, सासे हमारी आपने,
जवाब देंहटाएंजिन्दा हू चुका के, हसरते ब्याज मे
शुभकामनाएं
सुंदर रचना है
जवाब देंहटाएंहने को कह दिया, कोइ नही है हम,
जवाब देंहटाएंआते ही जिक्र मेरा, क्यो आखे हुई नम.
हसरत मे रहे जिन्दा, हसरत मे मरेगे,
मिलने की आप से, हसरत ही करेगे.
बहुत सुन्दर
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
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