सूखे-लब, फिर से तर कर, भूला किस्सा फिर, बया कर रहा हू.
थके कदमो को, सम्हाल फिर से, मन्ज़िल को सर, कर रहा हू.
अधूरा सफ़र, करीब आके मन्ज़िल, जमाने के ताने, हज़म कर रहा हू.
बडी याद आई, तुम्हारी सफ़र मे, सजदे मै तेरे, सनम कर रहा हू.
कहा एक दिन था, तुमने ए मुझ से, अजी! जाके मुह, अपना धो आइए.
ए चम-चम नही, हर किसी के लिए, खैरियत हो तो, अपने घर जाइए.
बडी धार थी, तल्खे-तलवार मे, जुबा यू कि, कोइ हो खन्जर-कटारी,
हमी पे दिखायी, ए कातिल जवानी, खैर हो तुम्हारी, आरजू मे गुजारी.
न भूले खताये, न की जो कभी, न फिर मुस्कराए, रूठे जो एक दिन.
अजी थूकिये, सारी तल्खियो को, पलट के न आये, गये जो एक दिन.
चलो आज हम, अहद कर ही डाले, जलाए सभी, फ़रमान-ए-फ़सादी.
आओ मिटादे, गिले-सिकवे सारे, जलाए चिरागा, अमन-ओ-आज़ादी.
मिलकर मनाये, खुसिया सभी हम, कभी तुम बुलाओ, कभी हम बुलाये.
हम-निवाले मे, सिवैया-बतासे, कभी तुम खिलाओ, कभी हम खिलाये.
लानत-मलानत मे, गुजरी बहुत, कभी तुम टरटराये, कभी हम गुरराये.
लगा ले, गले लख्ते-ज़िगर, कभी तुम मुस्काराओ, कभी हम मुस्कराये.
करे आपकी, हम खातिर तव्व्जो, सज्दे मे जब, सर ख्वाजा पे झुकाये.
लुफ़्त उठाए, खीर औ सरबत, जिआरत पे हम, ननकाना सहिब जाये.
चलो गुनगुनाये, नमगे मुहब्बत, ए जन्नत हमारी, जहन्नुम बनी है.
न मह्फ़ूज रहे, हम घरो मे, कि अमन के फ़ाख्ते, चील खा रही है.
कहा गयी, ओ तलवार भवानी, कहा गवा बैठे, ओ चक्र सुदर्सन.
चूहो की हिम्मत, इतनी बढी है, शेरो को डराके, कराते है नरतन.
माना कठिन है, राहे अमन की, पहल कर के अपना, कदम तो बढाये.
बेजा बहा, बहुत खूने आदम, चलो मिलके, सल्तनत-ए-दहसत ढहाये.
मंगलवार, 15 जून 2010
गुरुवार, 10 जून 2010
गमगीन वक्त भी, नमकीन हो गया.
मरने की चाह ने, जीना सिखा दिया.
मिलने की राह ने, पीना सिखा दिया.
भट्की हुइ निगाहे, ठहरी है आप पे.
सारे जहा की खुस्बू, सिमटी है आप मे.
खोये हुए खजाने, फ़िर अपने हो गए.
किस्मत से एक बार, हम फ़िर मिल गए,
काली स्याह-राते, चान्दनी बन गई,
मिट के सिकस्त फ़िर, हसरत हो गई.
आते ही आपके, मौसम बदल गये,
सहरा मे फ़िर तेरे, जल्वे म़चल गये.
गमगीन वक्त भी, नमकीन हो गया.
चेहरे पे आपके, आई ए जो हया.
रूक जाइये थोडा, दम लेने तो दे,
एक बार ही सही, जी भर जीने दे.
जाना कि जाना है, चले जाइगा,
जाने के बाद भी, तो हमे पाइगा.
गिरवी रखी है, सासे हमारी आपने,
जिन्दा हू चुका के, हसरते ब्याज मे.
कहने को कह दिया, कोइ नही है हम,
आते ही जिक्र मेरा, क्यो आखे हुई नम.
हसरत मे रहे जिन्दा, हसरत मे मरेगे,
मिलने की आप से, हसरत ही करेगे.
मिलने की राह ने, पीना सिखा दिया.
भट्की हुइ निगाहे, ठहरी है आप पे.
सारे जहा की खुस्बू, सिमटी है आप मे.
खोये हुए खजाने, फ़िर अपने हो गए.
किस्मत से एक बार, हम फ़िर मिल गए,
काली स्याह-राते, चान्दनी बन गई,
मिट के सिकस्त फ़िर, हसरत हो गई.
आते ही आपके, मौसम बदल गये,
सहरा मे फ़िर तेरे, जल्वे म़चल गये.
गमगीन वक्त भी, नमकीन हो गया.
चेहरे पे आपके, आई ए जो हया.
रूक जाइये थोडा, दम लेने तो दे,
एक बार ही सही, जी भर जीने दे.
जाना कि जाना है, चले जाइगा,
जाने के बाद भी, तो हमे पाइगा.
गिरवी रखी है, सासे हमारी आपने,
जिन्दा हू चुका के, हसरते ब्याज मे.
कहने को कह दिया, कोइ नही है हम,
आते ही जिक्र मेरा, क्यो आखे हुई नम.
हसरत मे रहे जिन्दा, हसरत मे मरेगे,
मिलने की आप से, हसरत ही करेगे.
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