बुधवार, 23 मई 2012

"आस्टेरिटी मीजर की.. इन ने भुज्ज मार दी"

सरकार सॊ रही है.. यु चादर चढाइ के....
चोर्टे सभी लगे है.. यु सेन्धे लगाइ के...

सरकार रही सुतली .. तो खुब माल लुटली...
चूस गये आम सभी.. ओ निगल गये गुठली....

जनता रही है सिसकती.. सरकार रही घिसटती...
पब्लिक रही है पिसती.. सरकार रही है हसती...

हर नाकामियो के जस्न.. पे मुरगे चबाइ के ...
खुद मिया मित्ठू बने..  है दारु चढाइ के...

कानून खुद बनाइ के.. खुद ही सेन्ध मार दी...
आस्टेरिटी मीजर की.. इन ने भुज्ज मार दी...

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